पाती पढ़ये पाहुन कुर्जा
गेहूँ खुड से झाँक रह्या।
कूँचा फूलड़ा दाँत निपोर
तारा दिनड़ो हाँक रह्या।।
सिळी-सिळी चाले पुरवाई
साँझ धुणी-सी सिलग रही।
हूक हिवड़ पर तीर चलावे
ढळती रातां बिलग रही।
झरे चाँदनी कामण गावे
ओल्यूँ बलुआ पाँक रह्या।।
आंख्यां सुपणो सजे सोवणो
बाट जोहती रात रही।
जीवण बाँध कलाई तागा
काच्चा सूत न कात रही।
काल चरखा धरतया घूमे
बिखर पहर री फाँक रह्या।।
फूला-पत्ता बिंध्य किरण्याँ
आँगण माही खेल्य भोर।
होळ्या-होळ्या डग धूप भरे
डाळ्या डागळा छज्जा छोर।
मावठ रास रचाती आवे।
दिन दुपहरी आँक रह्या।।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
शब्द =अर्थ
कुँचा =एक प्रकार का पौधा
फूलड़ा =फूल
हाँक =हुंकार
सिळी-सोळी =ठंडी-ठंडी
ढळती =ढलती
बलुआ पाँक = बलुआ दलदली मिट्टी
सिलग =सुलगना
बिलग =बिलख
आंख्यां=आँख
तागा =धागा
धरतया=धरती
फाँक =लंबाई के बल कटा हुआ टुकड़ा
होळ्या-होळ्या=धीरे-धीरे
डाळ्या=टहनियाँ
डागळा=छत
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार
(6-12-21) को
तुमसे ही मेरा घर-घर है" (चर्चा अंक4270)
पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
चर्चामंच पर स्थान देने हेतु बहुत बहुत शुक्रिया कामिनी दी।
हटाएंसादर
नवगीत श्रृंखला में एक और राजस्थानी नवगीत आपकी लेखनी से...अद्भुत और अप्रतिम । मुग्ध करती भावाभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंआपके अपार स्नेह से अत्यंत हर्ष हुआ। उत्साह बढ़ाने हेतु दिल से अनेकानेक आभार आदरणीय मीना दी जी।
हटाएंसादर
बहुत ही सुंदर..
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ प्रिय मनीषा जी।
हटाएंसादर
आपके द्वारा रचित राजस्थानी गीत पढ़कर मन मुग्ध हो जाता है।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय जितेंद्र जी सर। आपकी प्रतिक्रिया से सृजन को प्रवाह मिली।
हटाएंमनोबल बढ़ाने हेतु बहुत बहुत शुक्रिया।
सादर
बहुत सुंदर सृजन,अनिता दी।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ प्रिय ज्योति बहन।
हटाएंसादर
वाह,वाह, क्या बात है ! बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय गगन शर्मा जी सर।
हटाएंआपकी प्रतिक्रिया से संबल मिला।
आशीर्वाद बनाए रखें।
सादर
दीदी.....वाह.....शानदार.....मैं भी राजस्थानी हूँ....गीत पढ़ दिल मंत्र मुग्ध हो गया......
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ अनुज। यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ की आपभी राजस्थानी है।
हटाएंमनोबल बढ़ाने हेतु दिल से आभार।
बहुत सुंदर गीत ।बधाई अनीता जी ।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय जिज्ञासा दी जी।
हटाएंसादर
बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय गोपेश जी सर आपकी प्रतिक्रिया अनमोल है। आशीर्वाद बनाए रखें।
हटाएंसादर
वाह!प्रिय अनीता ,क्या बात है ,खूबसूरत सृजन ।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ प्रिय शुभा दी जी अत्यंत हर्ष हुआ आपकी प्रतिक्रिया मिली।
हटाएंसादर स्नेह
सुंदर मोहक राजस्थानी लोक गीत,भाव और शब्दों का सुंदर संयोग।
जवाब देंहटाएंअप्रतिम, अनुपम।
सस्नेह।
आभारी हूँ आदरणीय दी।
हटाएंआपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा।
आशीर्वाद बनाए रखे।
सादर