रविवार, दिसंबर 5

मावठ रा रास


पाती पढ़ये पाहुन कुर्जा 

गेहूँ खुड से झाँक रह्या।

कूँचा फूलड़ा दाँत निपोर 

तारा दिनड़ो हाँक रह्या।।


सिळी-सिळी चाले पुरवाई

साँझ धुणी-सी सिलग रही।

हूक हिवड़ पर तीर चलावे 

ढळती रातां बिलग रही।

झरे चाँदनी कामण गावे 

ओल्यूँ बलुआ पाँक रह्या।।


आंख्यां सुपणो सजे सोवणो

बाट जोहती रात रही।

जीवण बाँध कलाई तागा 

काच्चा सूत न कात रही।

काल चरखा धरतया घूमे 

बिखर पहर री फाँक रह्या।।


फूला-पत्ता बिंध्य किरण्याँ

 आँगण माही खेल्य भोर।

होळ्या-होळ्या डग धूप भरे

डाळ्या डागळा छज्जा छोर।

मावठ रास रचाती आवे।

दिन दुपहरी आँक रह्या।।


@अनीता सैनी 'दीप्ति'

शब्द =अर्थ

कुँचा =एक प्रकार का पौधा 
फूलड़ा =फूल
हाँक =हुंकार 
सिळी-सोळी =ठंडी-ठंडी
ढळती =ढलती
बलुआ पाँक = बलुआ दलदली मिट्टी 
सिलग =सुलगना 
बिलग =बिलख
आंख्यां=आँख 
तागा =धागा
धरतया=धरती
फाँक =लंबाई के बल कटा हुआ टुकड़ा 
होळ्या-होळ्या=धीरे-धीरे
डाळ्या=टहनियाँ
डागळा=छत

22 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार
    (6-12-21) को
    तुमसे ही मेरा घर-घर है" (चर्चा अंक4270)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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    1. चर्चामंच पर स्थान देने हेतु बहुत बहुत शुक्रिया कामिनी दी।
      सादर

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  2. नवगीत श्रृंखला में एक और राजस्थानी नवगीत आपकी लेखनी से...अद्भुत और अप्रतिम । मुग्ध करती भावाभिव्यक्ति ।

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    1. आपके अपार स्नेह से अत्यंत हर्ष हुआ। उत्साह बढ़ाने हेतु दिल से अनेकानेक आभार आदरणीय मीना दी जी।
      सादर

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  3. आपके द्वारा रचित राजस्थानी गीत पढ़कर मन मुग्ध हो जाता है।

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    1. आभारी हूँ आदरणीय जितेंद्र जी सर। आपकी प्रतिक्रिया से सृजन को प्रवाह मिली।
      मनोबल बढ़ाने हेतु बहुत बहुत शुक्रिया।
      सादर

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  4. बहुत सुंदर सृजन,अनिता दी।

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  5. वाह,वाह, क्या बात है ! बहुत सुंदर

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    1. आभारी हूँ आदरणीय गगन शर्मा जी सर।
      आपकी प्रतिक्रिया से संबल मिला।
      आशीर्वाद बनाए रखें।
      सादर

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  6. दीदी.....वाह.....शानदार.....मैं भी राजस्थानी हूँ....गीत पढ़ दिल मंत्र मुग्ध हो गया......

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    1. आभारी हूँ अनुज। यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ की आपभी राजस्थानी है।
      मनोबल बढ़ाने हेतु दिल से आभार।

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  7. बहुत सुंदर गीत ।बधाई अनीता जी ।

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    1. आभारी हूँ आदरणीय जिज्ञासा दी जी।
      सादर

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    1. आभारी हूँ आदरणीय गोपेश जी सर आपकी प्रतिक्रिया अनमोल है। आशीर्वाद बनाए रखें।
      सादर

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  9. वाह!प्रिय अनीता ,क्या बात है ,खूबसूरत सृजन ।

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    1. आभारी हूँ प्रिय शुभा दी जी अत्यंत हर्ष हुआ आपकी प्रतिक्रिया मिली।
      सादर स्नेह

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  10. सुंदर मोहक राजस्थानी लोक गीत,भाव और शब्दों का सुंदर संयोग।
    अप्रतिम, अनुपम।
    सस्नेह।

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    1. आभारी हूँ आदरणीय दी।
      आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा।
      आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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