प्रेम फ़िक्र बहुत करता है
लगता है जैसे-
ख़ुद को समझाता रहता है
कहता है-
"डिसीजन अकेले लेना सीखो
राय माँगना बंद करो
तुम मुझसे बेहतर करती हो।"
दो मिनट का फोन, पाँच बार पूछता है
"तुम ठीक हो?
कोई परेशानी तो नहीं
कुछ चाहिए तो बताना
मैं कुछ इंतज़ाम करता हूँ
और हाँ
व्यस्तता काफ़ी रहती है
क्यों करती हो फोन का इंतजार ?
कहा था न समय मिलते ही करुँगा
अच्छा कुछ दिन काफ़ी व्यस्त हूँ
फील्ड से लौटकर फोन करता हूँ।"
लौटते ही फिर पूछता है
"तुम ठीक हो ?"
आवाज़ आती है-”हूँ ”
और आप?
फिर आवाज़ आती है- ”हूँ ”
@अनीता सैनी ”दीप्ति”
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 11 दिसंबर 21 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4275 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबाग
आभारी हूँ आदरणीय चर्चामंच पर स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर
बिल्कुल अलग सा अन्दाज ..., बहुत खूब ! अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय मीना दी जी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय।
हटाएंसादर
अलग ही अंदाज की बेहतरीन, प्रभावशाली और प्रशंसनीय रचना हेतु शुभकामनाएं आदरणीया अनीता जी।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
अन्दाज ए बयाँ बहुत खूबसूरत है
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ प्रीती जी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
मर्म को छू गये ये सरल से उद्गार जिनमें शब्दों वृहदता नहीं है पर सागर की गहराई है।
जवाब देंहटाएंएक सैनिक की पत्नी को नमन जो सदा आद्र हृदय और सदा उन्नत भाल रहती है।
बहुत बहुत सुंदर सृजन।
आभारी हूँ आदरणीय कुसुम दी जी आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा। आशीर्वाद बनाए रखे।
हटाएंसादर स्नेह
प्रिय अनीता ,तुम्हारे हृदय के उद्गारों को बखूबी से उकेरा हे तुम्हारी कलम नें । सही में पढकर अहसास हुआ ...आँख भी नम हुई ..शायद ऐसा पहली बार हुआ । दिल में उतर गई आपकी ये रचना ।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ प्रिय शुभा दी जी आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा। आशीर्वाद बनाए रखे।
हटाएंसादर
सैनिक और उसकी पत्नी दोनों ही जानते हैं कि जबाब में सिर्फ हूँ ही मिलना है और हूँ ही काफी है उन दोनों के लिए.... एक दूसरे की फिक्र के साथ बोलते ही सारे इंतजाम हो भी जाते हैं कौन तोलता है दोनों में इनके अदम्य साहस को....एक देश के फील्ड में दूसरा घर के फील्ड में तैनात रहते हैं सेवानिवृत्ति तक...उम्र भर कहना भी अतिशयोक्ति ना होगी।
जवाब देंहटाएंबहुत ही हृदयस्पर्शी सृजन।
आभारी हूँ आदरणीय सुधा जी आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा।
हटाएंआपको बहुत सारा स्नेह
बहुत सुंदर,मन को छू गयी
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय दी।
हटाएंसादर
बहुत ख़ूब !
जवाब देंहटाएंइन दोनों -'हूँ' में कितने - 'आई लव यू' छिपे हैं, इसका हिसाब कर पाना बड़ा मुश्किल होगा.
आभारी हूँ आदरणीय गोपेश जी सर आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा। सच कहा आपने ख़ामोशी में बहुत कुछ छिपा रहता है।
हटाएंआशीर्वाद बनाए रखे.
सादर प्रणाम
मैं हूं,
जवाब देंहटाएंजहां भी हूं,
तुम्हारे लिए हूं ।।...मनोभावों को पिरोती लाजवाब रचना ।
आभारी हूँ आदरणीय दी।
हटाएंसही कहा आपने।
सादर स्नेह
सुन्दर
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना
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