थक न तू
थकान से न रख वास्ता
आकार तू निराकार तू
पृथ्वी है तू प्राणवायु तू
याद रख
निमित्त है तू
निर्माता अपने भाग्य का तू।
क्या सोचता?
क्या देखता?
शक्ति तुझमें है अपार
जल तू ज्वाला तू
याद रख
निमित्त है तू
निर्माता अपने भाग्य का तू।
हाथ में तू हाथ दे
क़दमों के मेरे साथ चल
मंज़िल का दूँ पता तुझे
तू बढ़ता चल
कर्म कारवाँ के साथ
याद रख
निमित्त है तू
निर्माता अपने भाग्य का तू।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
तू बढ़ता चल
जवाब देंहटाएंकर्म कारवाँ के साथ
याद रख
निमित्त है तू
निर्माता अपने भाग्य का तू।
कर्मयोग का संदेश लिए प्रेरक उद्बोधन ।अति सुन्दर ।
आभारी हूँ प्रिय मीना दी जी अत्यंत हर्ष हुआ आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया मिली। आशीर्वाद बनाए रखें।
हटाएंसादर
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (08-12-2021) को चर्चा मंच "निमित्त है तू" (चर्चा अंक 4272) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभारी हूँ आदरणीय सर मंच पर स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर
स्वयं के निर्माण का भी निम्मित इंसान खुद ही होता है ...
जवाब देंहटाएंजैसा बोता है वैसा पाता है ...
आभारी हूँ सर मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंआशीर्वाद बनाए रखें।
सादर
वाह अति सराहनीय।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ सर।
हटाएंआशीर्वाद बनाए रखें।
सादर
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ दी आपका आशीर्वाद मिला।
हटाएंसादर
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआभार हूँ आदरणीय सर।
हटाएंसादर
बहुत ख़ूब !
जवाब देंहटाएंवीर तुम बढ़े चलो.
आभारी हूँ आदरणीय सर आपकी प्रतिक्रिया मेरा संबल है। आशीर्वाद बनाए रखें।
हटाएंसादर
प्रेरक रचना जो सोई हुई संवेदना और इच्छाशक्ति को झकझोरती हुई मार्गदर्शन और सहयोग के मूल्यों की सुंदर स्थापना करती है.
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट रचना.
बधाई एवं शुभकामनाएँ.
आभारी हूँ आदरणीय सर।
हटाएंआपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा।
आशीर्वाद बनाए रखें।
सादर प्रणाम
कर्म का सुंदर संदेश लिये प्रेरक रचना, लक्ष्य की प्राप्ति निश्चित है क्योंकि तू स्वयं ही भाग्य निर्माता हैं।
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत बहुत सुंदर सृजन।
आभारी हूँ आदरणीय कुसुम दी जी अत्यंत हर्ष हुआ आपकी प्रतिक्रिया मिली संबल मिला।
हटाएंआशीर्वाद बनाए रखें।
आपको बहुत बहुत सारा स्नेह
sundar kavita
हटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया।
हटाएंसादर
क्या सोचता?
जवाब देंहटाएंक्या देखता?
शक्ति तुझमें है अपार
जल तू ज्वाला तू
याद रख
निमित्त है तू
निर्माता अपने भाग्य का तू।
वाह!!!
अपने भाग्य के निर्मित हैं हम...
फिर भाग्य कोशने के बजाय कोशिश करें
सुन्दर संदेशप्रद एवं लाजवाब सृजन।
आभारी हूँ आदरणीय सुधा दी जी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
bahut khoob
जवाब देंहटाएंsab thik hai
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