कोरी बातां खाली कुठलो
गूँजे थोथी बात रही।।
चूल्हा-चक्की चौका बदळे
जठरा ज्वाला कात रही।।
चीर बदल व्यवहार घणेरा
बहरुपिया रा सांग गढ़े।
मीठी-मीठी करें जुगाळी
झाँसा झोळी झाड़ पढ़े।
मंशा मूसळ बणके कूटे
दिणा दूभरा सात रही।।
क्षणभंगुर माणस रो जीवण
मोहमाया मह अटक्यो।
दो जूणा री रोट्यां खातिर
छोड़ ठिकाणा भटक्यो।
चील कागला बैठ ताक में
बगुला भगता री जात रही।।
पेड़-पौध रा रूप चढ़ावा
बदळ तित्थयाँ दिन सजाव
ओळो-सोळो टाँगे सूरज
चाँद-चाँदणी न बिसराव।
माण-सनमाण भूऴ्या बैठ्या
खेला री शह मात रही।।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
शब्द अर्थ
थोथी - खाली, रिक्त
कुठलो -अनाज रखने का पात्र
जठरा-पेट की भूख
घणेरा -बहुत ज्यादा
झाँसा-छलपूर्ण बात
झोळी-झोली
झाड़-झाड़ना
कूटे -कूटना
दिणा-दिन
दूभरा-बहुत कठिन
ओळो-सोळो-उल्टा-सुलटा
माण-सनमाण-मान-सम्मान
कोरी बातां खाली कुठलो
जवाब देंहटाएंगूँजे थोथी बात रही।।
चूल्हा-चक्की चौका बदळे
जठरा ज्वाला कात रही।।
मन्त्रमुग्ध हो जाती हूँ आपके राजस्थानी शब्द भंडार पर । भाव प्रवाह बहुत सुन्दर है । बेहतरीन सृजनात्मकता ।
हार्दिक आभार आदरणीया मीना दी जी आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा।
हटाएंसृजन सार्थक हुआ।
सादर स्नेह
आपके ब्लॉग पर सभी मारवाड़ी गीत पढ़े अनीता जी ! लयबद्ध और सरस हैं सभी। पर प्रतिक्रिया में क्या लिखूँ पूरी तरह समझ नहीं पाती।
जवाब देंहटाएंहाँ मारवाड़ी भाषा पर आपकी पकड़ और शब्दभंडार हैरान करते हैं।
आप पधारे स्नेह की बौछार की चित्त प्रफुल्लित हो गया। अनेकानेक आभार आपका प्रिय सुधा दी जी। शायद ग्रामीण परिवेश से होने से देशज शब्द हृदय में उमड़ आते है और फिर गीतों के सहारे वह जीवन फिर से जी लेती हूँ। बड़ा अच्छा लगता है गीतों में डूबना।
हटाएंस्नेह आशीर्वाद बनाए रखें।
आप भी बहुत बहुत सारा स्नेह
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 27 जनवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
बहुत बहुत शुक्रिया सर पांच लिंको पर स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर
लाजबाब अनीता जी, कटु सत्य
जवाब देंहटाएंएक कलमकार का यही नैतिक दायित्व है कि वह समाज की सत्यता को रखे . साधुवाद उत्तम कृती हेतु
हृदय से आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
बहुत सुंदर गीत ।समझने के लिए अर्थ पर जाती हूं । ऐसे गीत मन को अंदर तक छूते हैं । मैं भी अवधी में लिख काफी अच्छा महसूस करती हूं।
जवाब देंहटाएं.. बहुत सार्थक बात उठाने के साथ सुंदर संदेश देती रचना ।
हृदय से आभार आदरणीय जिज्ञासा दी जी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
सांची बातां तो लोगां ने कड़वी ही लागे छे। सच सुणबा वास्ते जाडो काळजो चाइजे। कतरा लोगां में मिळ सके? गीत के एक-एक शब्द ने सीधे हृदय पर प्रहार किया है। क्या करें? ज़िन्दगी की सच्चाई से भागकर कहाँ जाएं? ऐसे ही दर्पण दिखलाने वाले गीत आपकी लेखनी से उपजते रहें, यही शुभकामना प्रेषित करता हूँ।
जवाब देंहटाएंआपकी अपनत्व से शराबोर प्रतिक्रिया लेखी को और ऊर्जावान बनाती है साहित्य और भाषा के प्रति आपका समर्पण सराहनीय है और मेरा संबल।
हटाएंअनेकानेक आभार।
सादर
वाहप्रिय अनीता ,बहुत खूब ! सही कहा आपने ,रोटी के लिए तो इधर -उधर भटकना ही पडता है ..।
जवाब देंहटाएंदिल से आभार प्रिय शुभा दी जी आपका स्नेह अनमोल है।
हटाएंसादर स्नेह
जीवन का सत्य और वर्तमान परिदृश्य के दर्द रूपी स्वाति से उपजा मोती सम सृजन । अपना नैसर्गिक सुगंध लिए हुए । बहुत ही सुन्दर भाव।
जवाब देंहटाएंलाड़ लड़ाते आपके शब्द हृदय में उतर जाते है ममता की मुरत हैं आप। आपका साथ ऊर्जावान बनाए रखता। अनेकानेक आभार आपका आदरणीय दी।
हटाएंसादर स्नेह
वाह अनीता, आंचलिक भाषा में बगला भगतों का पोलखोल कार्यक्रम !
जवाब देंहटाएंलेकिन इस राह पर चलोगी तो कांटे बहुत चुभेंगे.
आदरणीय सर हार्दिक आभार आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा।
हटाएंआशीर्वाद बनाए रखें।
अब पाँव पत्थर के हो गए एहसास नहीं होता सर।
सादर
वाह अनीता, तुम्हारे मारवाड़ी गीत-पुष्पों की माला तो दूर-दूर तक अपनी सुगंध फैला रही है.
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर सादर नमस्कार।
हटाएंआपका आशीर्वाद ही जो यहाँ तक पहुंची।
हार्दिक आभार आपका।
सादर प्रणाम।
बेहतरीन सृजन 👌👌
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका।
हटाएंसादर
गहन शब्द भण्डार है आपके पास राजस्थानी भाषा का ...
जवाब देंहटाएंकमाल का सृजन कर रही हैं आप आज कल ... बहुत बधाई ...
हार्दिक आभार आदरणीय नासवा जी सर आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा।
हटाएंसादर