राजस्थान सिरमोड जड्यो
मायड़ भाषा माण सखी।।
किरणा झरतो चानणियो है
ऊँचों है सनमाण सखी।।
चाँद चांदणी ढ़ोळ्य ढ़ाँकणा
मुठ्या भर अनुराग धरे।
शब्द अलंकार छंदा माह
भाव रस रा झरणा झरे।
लोक गीत लुभावे रागणी
माट्टी रो अभिमाण सखी।।
जण-जण रे कंठा री वाणी
जातक कथाएँ काणियाँ।
इतिहास र पन्ना री शोभा
वीरांगणा रज राणियाँ।
सेना माह सपूत घणेरा
भाग बड़ो बलवाण सखी।।
भोर बुहार अंबर आँगणा
झोंका चाले पछुआ रा।
सोना चमके बालू धोरा
राज छिपावे बिछुआ रा।
मरूभूमि री बोली मीठी
प्रीत घणी धणमाण सखी।।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
शब्द अर्थ
सिरमोड=सिर का ताज
चानणियो=उजाला
सनमाण=सम्मान
ढ़ोळ्य =फैलाना
मुठ्या=मुट्ठी
रागणी =राग, धुन
अभिमाण =अभिमान
बलवाण=बलवान
घणी=बहुत अधिक
धणमाण=धनमान
काणियाँ=कहानियाँ
मरूभूमी= रेगिस्तान
अति उत्तम राजस्थान का गीत
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आपका।
हटाएंसादर
वाह!प्रिय अनीता ,बहुत खूब!मायड भाषा रो मान घणों छ.
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ प्रिय शुभा दी जी।
हटाएंसादर
राजस्थान की खूबियों का उत्कृष्ट वर्णन करता खूबसूरत नवगीत ।
जवाब देंहटाएंरंग-रंगीले राजस्थान की विरासत का मनमोहक शब्द चित्र अनीता जी । आपके राजस्थानी नवगीत मन्त्रमुग्ध करते हैं । यूं ही लिखती रहिए अनेकानेक शुभकामनाएं💐👌
दिल से आभारी आदरणीय मीना दी जी आपका स्नेह संबल है मेरा।
हटाएंसादर स्नेह
सुंदर, सराहनीय रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आपका।
हटाएंसादर
वाह ! अनिता जी मरूभूमि का सौंदर्य, वहां की संस्कृति, शौर्य ,वाणी सौंदर्य सब को बहुत सुंदरता से रचना में समेटा है आपने।
जवाब देंहटाएंराजस्थानी भाषा का उत्कृष्ट सृजन।
अप्रतिम अभिराम।
दिल गहराइयों से आभार आदरणीय कुसुम दी जी आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ।
हटाएंआशीर्वाद बनाए रखे।
सादर
वाह अनीता, राजस्थान की छटा बिखेरता तुम्हारा गीत तो चूरमा जितना मीठा है.
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय गोपेश जी सर।
हटाएंथान मेरो नव गीत घणों चोखो लाग्य।
सादर प्रणाम
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (12-01-2022) को चर्चा मंच "सन्त विवेकानन्द" जन्म दिवस पर विशेष (चर्चा अंक-4307) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभारी हूँ आदरणीय सर मंच पर स्थान देने हेतु।
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बहुत ही सुन्दर भाव एवं कृति ।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय अमृता दी जी मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंसादर
जण-जण रे कंठा री वाणी
जवाब देंहटाएंजातक कथाएँ काणियाँ।
इतिहास र पन्ना री शोभा
वीरांगणा रज राणियाँ।
सेना माह सपूत घणेरा
भाग बड़ो बलवाण सखी।।
वाह!!!
राजस्थान की छटा बिखेर दी आपने...
आभारी हूँ आदरणीय सुधा जी सृजन सार्थक हुआ आपकी प्रतिक्रिया मिली।
हटाएंसादर
मरूभूमि की बोली तो सचमुच ही बहुत मीठी है अनीता जी। आपके द्वारा रचित राजस्थानी गीतों का आनंद अवर्णनीय है, अनिर्वचनीय है।
जवाब देंहटाएंअनेकानेक आभार आदरणीय जितेंद्र जी से आपने हमेशा मेरा मनोबल बढ़ाया है। आपकी प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ।
हटाएंसादर आभार
शब्दार्थ उपलब्ध करा देने से इस मोहक कविता को समझना सहज हो गया। वैसे यह रचना इतनी मधुरिम-मधुरिम है कि प्रथम बार में शब्दार्थ देखने से पहले ही इसने मन मोह लिया।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर आपका आशीर्वाद मिला। मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु अनेकानेक आभार।
हटाएंसादर