ढलती साँझ विदाई की बेला
अकुलाए भावों का उफनना।
आँखों से ओझल धुँधराए
ख्याल से घट का छलकना।
पाखी! धड़कनों का कलरव
उपहार में हृदय बिछाया है।
पैरों को हौले-हौले रखना
फूलों में प्रीत को छिपाया है।
उमगते-निमगते चाँद-सूरज
चाँदनी आँचल फैलाएगी।
टेडी-मेढी पगडंडियों पर
प्रीत जुगनुओं-सी जगमगाएगी।
अविराम शून्य में डूबती लहर
या हो बीते पलों का एहसास।
गीत ग़म के न गुनगुना साथी
खुशियों का पहनना लिबास।
तुम चले हो नए पथ की ओर
मिले छाँव हँसती भोर साथी।
हृदय हमारा सुनता रहेगा अब
स्मृतियों की उठती हिलोर साथी।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
Bahut hi sundar Mrs saini mam
जवाब देंहटाएंजी हृदय से आभार आपका।
हटाएंसादर
http://againindian.blogspot.com/
हटाएंBahut sundar 👌👌🙌🙏
जवाब देंहटाएंजी हृदय से आभार आपका।
हटाएंसादर
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17.02.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4344 में दिया जाएगा| ब्लॉग पर आपकी आमद का इंतजार रहेगा|
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबाग
हार्दिक आभार सर मंच पर स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर
Super sir
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार।
हटाएंसादर
Bahut sundar madam aapne Sena police ka naam uncha kar diya
जवाब देंहटाएंजी हृदय से आभार सेना पुलिस का गौरव आप सभी से है। मान देने हेतु हृदय से आभार।
हटाएंसादर
Very nice poem mam, Thank you for writing like this
जवाब देंहटाएंजी हार्दिक आभार आप का।
हटाएंसादर
Very nice kabita mam
जवाब देंहटाएंहृदय से आभार आपका।
हटाएंसादर
Gajab bahut hi sarahniya kary bhabhi ji
जवाब देंहटाएंजी हृदय से आभार आपका।
हटाएंसादर
ढलती साँझ विदाई की बेला
जवाब देंहटाएंअकुलाए भावों का उफनना।
आँखों से ओझल धुँधराए
ख्याल से घट का छलकना।बहुत ही सुंदर रचना,
जी हृदय से आभार आपका आदरणीया।
हटाएंसादर
भावों का करवा बहा ले गया। बहुत ही सुंदर।
जवाब देंहटाएंपाखी! धड़कनों का कलरव
उपहार में हृदय बिछाया है।
पैरों को हौले-हौले रखना
फूलों में प्रीत को छिपाया है... हृदय भर आया।
खुश रहना, खूब लिखो।
हृदय से आभार प्रिय।
हटाएंसादर
बेहद खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ सखी।
हटाएंसादर
बहुत सुंदर रचना,अनिता दी।
जवाब देंहटाएंहृदय से आभार ज्योति बहन।
हटाएंसादर
तुम चले हो नए पथ की ओर
जवाब देंहटाएंमिले छाँव हँसती भोर साथी।
हृदय हमारा सुनता रहेगा अब
स्मृति-आँगन में भावों का शोर साथी।
प्रिय के लिए शुभ भावनाओं से सजी सुंदर रचना
हृदय से आभार आदरणीय अनीता जी।
हटाएंसादर
पाखी! धड़कनों का कलरव
जवाब देंहटाएंउपहार में हृदय बिछाया है।
पैरों को हौले-हौले रखना
फूलों में प्रीत को छिपाया है।
बहुत ही खूबसूरत सृजन प्रिय मैम!
हृदय से आभार प्रिय मनीषा जी।
हटाएंबहुत बहुत सारा स्नेह।
सादर
ढलती साँझ विदाई की बेला
जवाब देंहटाएंअकुलाए भावों का उफनना।
आँखों से ओझल धुँधराए
ख्याल से घट का छलकना।
बहुत मर्मस्पर्शी भावों से सजी हृदयस्पर्शी रचना ।
हृदय से आभार आदरणीय मीना दी जी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
good poem
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आप का।
हटाएंसादर
अविराम शून्य में डूबती लहर
जवाब देंहटाएंया हो बीते पलों का एहसास।
गीत ग़म के न गुनगुना साथी
खुशियों का पहनना लिबास।.. जीवन तो कटु अनुभवों की परछाई लेकर चलता रहता है,परंतु अगर खुशी का दामन पकड़े रहे तो जीवन सरल बन पड़ता है ।मन को छूती सुंदर रचना ।
हृदय से आभार आदरणीय जिज्ञासा जी प्रतिक्रिया से सृजन को नवाजने हेतु।
हटाएंसादर
अद्भुत!
जवाब देंहटाएंक्यों छेड़ देते हो यूं मौन तारों को,
शांत झील में कंकरी आलोडती है अंतर को
कुछ ऐसा कह कर चले जाते हो साथी
गहन कहीं गहरे तक झकझोडती है अंतर को।
श्र्लाघ्य।
आपका स्नेह आशीर्वाद मिला आदरणीय कुसुम दी जी अत्यंत हर्ष हुआ। आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा।
हटाएंहवाओं की बेचैनियों को
कहाँ समझता है झोंका
अपनी धुन में मुग्धया
अकुलाहट को देता है धोका।
स्नेह आशीर्वाद यों ही बना रहे।
सादर स्नेह दी।