सम्मोहन नश्वर नहीं प्रभात का
रचा-रचाया इन्द्रजाल है रात का
देखो!सहर सँवर आई चौखट पर
उठो! पथ पर फूल बिछाते हैं
सूरज ढलने का बहाना छिपाते हैं।
जीवन ललाट पर भोर बिखेरते हैं
टनियों से छनती धूप को हेरते हैं
पाखी कलरव से झरते भाव
प्रीत फल हृदय को पुगाते हैं
चलो!उजास के वृक्ष उगाते हैं।
अनमने से खोये-खोये न बैठो तुम
उफनते भाव-हिलोरों को न ऐंठो तुम
पहर पखवाड़े में सिमटती ज़िंदगी के
चलो! उल्लास अधरों पर टाँगते हैं
यों निढाल न बनो स्वप्न हाँकते हैं।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति,अनिता।
जवाब देंहटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार 18 अप्रैल 2022 ) को 'पर्यावरण बचाइए, बचे रहेंगे आप' (चर्चा अंक 4404) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
चाँदनी बन चाँद अंजूरी से झरते हैं
जवाब देंहटाएंसमय लहरों पर प्रीत-रस भरते हैं
बादलों के भंवर से पर्वत गढ़ते हैं
अनुपम कल्पना, प्रीत के रस में सनी कोमल भावनाओं का सुंदर चित्रण!
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंवाह सुंदर रचना उजास के वृक्ष.....
जवाब देंहटाएंजीवन ललाट पर भोर बिखेरते हैं
जवाब देंहटाएंटनियों से छनती धूप को हेरते हैं
पाखी कलरव से झरते भाव
प्रीत फल हृदय को पुगाते हैं
चलो!उजास के वृक्ष उगाते हैं।
सकारात्मक भाव लिए बहुत ही सुन्दर लाजवाब सृजन
वाह!!!
पाखी कलरव से झरते भाव
जवाब देंहटाएंप्रीत फल हृदय को पुगाते हैं
चलो!उजास के वृक्ष उगाते हैं।
अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।
Bahut pyari rachna👌👌
जवाब देंहटाएंसुंदर गीत।
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर सृजन।
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