मरू देश री आडावाळी
विधणा री हिळकोरी है।।
दादी बणके भाग जगायो
काळजड़े री लोरी है।।
प्रीत पाठ पाषाण पढ़ावे
आभौ बोव हिवड़ा माण।
जुगा-जुगा री काणी कहवे
बाँह पसार लुटाव जाण।
छटा सोवणी बादळ चूमे
टेम-टेम री जोरी है।।
पिढ्या तक रो गौरव गाडो
माथ टिकलो सोह रह्या।
धनधान्या से भरा आँगणा
राजस्थान रो मोह रह्या।
दुर्ग-किला री करे रखवाळी
चाँद सूरज री छोरी है।।
साखी लूणी जीवण सरवर
गळियाँ पाणी री थेथर।
ठंडा झोंका लू रा थपेड़ा
गोदी माह खेल्य खेचर।
भाग बळी रो बाळू बरगो
लेरा आँधी होरी है।।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
जीवनसार सामने ला दिया, आपने ! बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंहृदय से आभार आदरणीय सर उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (10-4-22) को "शुभ सुमंगल वितान दे..." (चर्चा अंक-4396) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
हार्दिक आभार मंच पर स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर
अति सुंदर
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार।
हटाएंसादर
पिढ्या तक रो गौरव गाडो
जवाब देंहटाएंमाथ टिकलो सोह रह्या।
धनधान्या से भरा आँगणा
राजस्थान रो मोह रह्या।
दुर्ग-किला री करे रखवाळी
चाँद सूरज री छोरी है।।
लोक को लोक महक, सुन्दर पूरी राजस्थानी न जानने से भी बहुत कुछ जान गया हूँ,
सोच रहा हूँ फिर रुख करूँ उस वीर भूमि राजस्थान की ओर जहाँ से मेरे पूर्वज आये थे, आखिर मेरा भी DNA सूर्यावंशी महारानाप्रताप के राणाओं का है,
आ हा हा, ये परिहास ही सही अंतस की श्रधा भी है राजस्थान से,
वेहतर गीत हेतु साधुवाद महोदया
लोक को लोक, को लोक की लोक महक पढ़ा जाय ,
हटाएंहार्दिक आभार सर संबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु। आप पधारिए राजस्थान में आपका हार्दिक स्वागत है। अरावली पर्वत माला से मुझे भी अथाह लगाव सा हो गया है जब भी उसे देखती हूँ नित नया गीत फूट पड़ता है। जब उसे स्पर्श करती हूँ तब लगता है कुछ कहना चाहती है। जैसे अभी बोल पड़ेगी और हाथ पकड़ मुझे अपने पास बैठने को कहेगी।मेरे भावों को आपने समझा समर्थ किया आपार हर्ष हुआ।
हटाएंआपका दिन मंगलमय हो ढेरों शुभकामनाएँ।
बहुत सुंदर रचना। आपकी सभी रचनाएँ एक से बढ़कर एक हैं🙏🌷🌷🌷
जवाब देंहटाएंहृदय से आभार उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंआपने ब्लॉग की बाक़ी रचनाएँ भी पढ़ी जानकर अत्यंत हर्ष हुआ।
सादर स्नेह
अरावली पर्वत श्रृंखला के महत्व को परिभाषित करती भावपूर्ण कृति ।
जवाब देंहटाएंहृदय से आभार आपका मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
बहुत सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंहृदय से आभार आपका।
हटाएंसादर
अरावली पर्वत श्रेणियों के गौरव को राजस्थानी में बहुत सुंदर से गीत में ढाला है आपने अनिता ।
जवाब देंहटाएंअभिनव सृजन ।
सच अरावली की पर्वत श्रेणियाँ पीढ़ियों की गौरव गाथा निज में समेटे हुए है।
अनेकानेक आभार आपका कुसुम दी जी आपकी प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ।
हटाएंसादर
बेहतरीन रचना सखी
जवाब देंहटाएंराजस्थान की गौरव-गाथा का वर्णन करती सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंअनीता, इस बार तुमने कठिन शब्दों के अर्थ नहीं दिए हैं. यदि संभव हो तो उन्हें जोड़ दो.
आदरणीय गोपेश मोहन जी सर सादर प्रणाम।
हटाएंहृदय से आभार आपका मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु। लिखती हूँ तब तक ठीक है फिर आलस कर जाती हूँ।
अभी लिखती हूँ।
सादर