वीरानियों में सिमटी धरती
चाँद, सूरज टंगा अंबर
मरुस्थल पैर नहीं जलाता
उस पर चलनेवालों के
बच्चे नंगे पाँव दौड़ते हैं!
प्यास गला नहीं घोंटती
पशु-पक्षियों का
बादलों की छाँव होती है!
न जाने क्यों पुरुष दिन-रात
सिसकते हैं?
सूखे कुएँ-तालाबों को देखकर
मरुस्थल भी रोता हुआ
दहाड़ मारता है!
गर्भ में सूखते शिशुओं को देख
माताएँ भूल गई हैं सिसकना!
राजस्थान घूमने आए सैलानी
कवि-लेखक भी मुग्ध हो
कविता-कहानियाँ लिखते हैं
पानी के मटके लातीं औरतों की
तस्वीर निकाली जाती है
मजबूरियों हृदय को छूती हैं
संवेदनाएँ ज़िंदा रहती हैं उनसे
बरखान, धोरों में प्रेम ढूँढ़ा जाता है
दूर- दूर तक फैले टीलों को
निहारा जाता है
खंडहर बनी बावड़ियों
गाँव और ग्रामीणों में
सभ्य हो,
सभ्यता तलाशी जाती है।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 30 अगस्त 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 30 अगस्त 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
हार्दिक आभार दी मंच पर स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (30-8-22} को "वीरानियों में सिमटी धरती"(चर्चा अंक 4537) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
------------
कामिनी सिन्हा
हार्दिक आभार कामिनी जी मंच पर सृजन को स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर
खोई हुई सभ्यता की तलाश तो अब इस देश के विभिन्न स्थानों पर है अनीता जी। लेकिन यह वह सभ्यता नहीं है जिसकी तलाश सैलानी करते हैं, यह वह सभ्यता है जिसकी तलाश अब मुझ जैसे लोगों को है सिर्फ़ राजस्थान में ही नहीं, भारत के कोने-कोने में (और ब्लॉग जगत में भी)। बहरहाल आपकी कविता का मर्म समझ लिया मैंने।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार सर।
हटाएंएक गाँव का मिट्टी के टीले में समाना कितना पीड़ादाया है। वैसे ही किसी कारण किसी गाँव को खालीकर जाना गाँव वालों के द्वारा, बहुत अच्छी बात है सभ्यता की खोज करना, टुटे मिट्टी के पात्रों से कोई पूछे कब से रीते पड़े हैं वे, मुझे अच्छा लगता आप मर्म को समझने के साथ यहाँ लिखते, मुझे नहीं पता आप क्या समझे। मेरा इशारा उजड़ते गाँवो की ओर है। प्यास से मरते पशु-पक्षियों की ओर है, पानी के सूखते कुओं की ओर है।
हार्दिक आभार आपका।
चिंतन पूर्ण विषय पर सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार
हटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंहृदय से आभार
हटाएंमार्मिक चित्रण ।।
जवाब देंहटाएंहृदय से आभार आदरणीया संगीता दी जी।
हटाएंअति संवेदनशील ।
जवाब देंहटाएंजी हृदय से आभार।
हटाएं