तुम ठीक ही कहते हो!
ये औरतें भी ना…बड़ी भुलक्कड़ होती हैं
बड़ी जल्दी ही सब भूल जाती हैं
भूल जाती हैं!
चुराई उम्र की शिकायत दर्ज करवाना
ऐसी घुलती-मिलती हैं हवा संग कि
धुप-छाव का ख़याल ही भूल जाती हैं
भूलने की बड़ी भारी बीमारी होती है इन्हें
याद ही कहाँ रहता है कुछ
चप्पल की साइज़ तो छोड़ो
अपने ही पैरों के निशान भूल जाती हैं
मान-सम्मान का ओढ़े उधड़ा खेश
गस खाती ख़ुद से बतियाती रहती हैं
भूल की फटी चादर बिछाए धरणी-सी
परिवार के स्वप्न सींचती रहती हैं
बचपन का आँगन तो भूली सो भूली
ख़ून के रिश्तों के साथ-साथ भूल जाती हैं!
चूल्हे की गर्म रोटी का स्वाद
रात की बासी रोटी बड़े चाव से खातीं
अन्न को सहेजना सिखाती हैं
सच ही कहते हो तुम
ये औरतें भी न बड़ी भुलक्कड़ होती हैं
समय के साथ सब भूल जाती हैं।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'