सम्मोहन /अनीता सैनी 'दीप्ति'
…
जब कभी भी मैं
कल्पना के एक छोर को
अफलातून की
कल्पना शक्ति से बाँधती हूँ
तब वह मुझे
इस अँधेरी गुफा से बाहर
निकालने का
भरसक प्रयास करती है
उजाले का सम्मोहन
आग के उस पार डोलती
परछाइयों का बुलावा
प्रकृति के प्रकृतिमय
एक-एक चित्र में रंग भरने के साथ
प्राण फूँकने की प्रक्रिया का रहस्य
गुफा के द्वार की ओर
पीठ नहीं
मुँह करने का आग्रह करती है
होता है; होता है कि रट से परे
कौन? कैसे होता है?
भी पढ़ने का इशारा करती है
परंतु मेरा मन है कि
किवाड़ के पीछे
जंग खाई कील पर अटका है।