अनीता सैनी
शब्द /अनीता सैनी ‘दीप्ति’
….
हवा-पानी
और प्रकाश की तरह
शब्दों की भी
सरहदें नहीं होती,
शब्द
दौड़ते हैं
ध्वनि वेग से
मूक-अमूक भावों के
स्पर्श हेतु
संवेदनाओं का नाद
गहरा प्रभाव छोड़ता है
हृदय पर
क्योंकि शब्द
हृदय की उपज है
मुख की नहीं।
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