रविवार, दिसंबर 31

शब्द


शब्द /अनीता सैनी ‘दीप्ति’

….

हवा-पानी 

और प्रकाश की तरह

शब्दों की भी 

सरहदें नहीं होती,

शब्द 

दौड़ते हैं

ध्वनि वेग से

मूक-अमूक भावों के 

स्पर्श हेतु

संवेदनाओं का नाद

गहरा प्रभाव छोड़ता है

हृदय पर

क्योंकि शब्द 

हृदय की उपज है

मुख की नहीं।

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