उसकी चेतना / अनीता सैनी ‘दीप्ति’
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उसकी चेतना
मेरे अवचेतन में
है, बिछी
सांसों की नमी से अँकुराती
भावों की
धूप से पुष्पित-पल्लवित
अबुझे
फूल-सी हृदय में है,छिपी
अंतस में कुलबुलाती
मौन है,मंढे
मरु कणिका चंचला चंद्र प्रिया
है,अति व्यग्र
नित नई उपमाएँ लिए कविता
है,गढ़े।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 10 दिसम्बर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंवाह! प्रिय अनीता ,सुंदर मनोभावों से सजी ,सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुन्दर भावविभोर रचना।
जवाब देंहटाएंवाह! सुंदर प्रतीकों का शब्दचित्र!
जवाब देंहटाएंबहुत शुभकामनाएं।