हालाँकि उसके रास्ते कठिन और दुर्गम हैं
और जब उसकी बाँहें घेरें तुम्हें
समर्पण कर दो
हालाँकि उसके पंखों में छिपे तलवार
तुम्हें लहूलुहान कर सकते हैं, फिर भी
और जब वह शब्दों में प्रकट हो
उसमें विश्वास रखो
हालांकि उसके शब्द तुम्हारे सपनों को
तार-तार कर सकते हैं- खलील जिब्रान
फिर भी तुम्हें प्रेम को
जीवंत रखना होगा
वह मर जाता है
कुम्हल जाता है ततक्षण
इंतज़ार नहीं करता
उसे जीवंत रखना पड़ता है
कि जैसे-
साँझ में सिमट जाता है दिन
बेपरवाह हो डूब जाता है
तुम्हें डूब जाना होगा
ढलती रात उतर जाती है
होले-होले भोर के कंठ में
वैसे ही तुम्हें
प्रेम को उतार लेना होगा कंठ से हृदय में
प्रेम के गर्भ की समयावधि नहीं होती
कि तुम पा सको उसे प्रत्यक्ष
एकतरफ़ा आत्मा
जन्म जन्मांतर सींचती है
प्रेम सींचना ही पड़ता है
जैसे-
सींचता है अंबर पृथ्वी को
गलबाँह में जकड़े
वैसे ही तुम्हें
प्रेम को जकड़ लेना होगा गलबाँह में
सींचना होगा जन्म जन्मांतर।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 26 फरवरी 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंप्रेम को संभाल कर रखना होगा दिल में ऐसे ही जैसे कोई क़ीमती हीरे को रखता है तिजोरी में
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंप्रेम तो सतत व स्वाभाविक है
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