वह प्रेम में है /अनीता सैनी
१२मई२०२४
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तुम उसे
दुर्बल मत कहो
वह प्रेम में है
पाप-पुण्य से परे
माटी बीज मरने नहीं देती
वह अपनी कोख़ नहीं कुतरती
चिथड़े-चिथड़े हुए प्रेत डरौना को
जब तुमने खेत से उठाकर
आँगन में टाँगा था
तब भी उसने
तुम्हारी मनसा को मरने नहीं दिया
साँझ के साथ उसकी
बढ़ती-घटती डरावनी परछाइयाँ
देख कर भी उसने उसे
ज़िंदा रखा
एक ने
सिला था उसके लिए झिंगोला
चाँद पर बैठी
उस दूसरी स्त्री ने काता था सूत
यह उनके अधूरेपन में उपजे
अध्यात्म के पदचाप नहीं थे
उसकी
पूर्णता की दौड़ थी।