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गुरुवार, अगस्त 29

रास्ते में

रास्ते में /अनिता सैनी 
२७अगस्त२०२४
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मेरे बच्चे 
तुम दुःख-शोक मत मनाना 
अंबर की अपनी नियति है 
बादल आते हैं 
कुछ पल ठहर चले जाते हैं 
उसकी पुकार पर आँखें मूंद लेना
इस राह पर तुम अकेले नहीं हो 
तुम देखना!
उस दिन
बहुत जोरों की बरसात होगी 
बरसात में बरसते सुख समृद्धि के बीज 
दो-दो सूरज निकलेंगे 
वे दोनों सभी की पीड़ा हर लेंगे 
खुशियों के बीज अंकुरित होंगे 
मेरे बच्चे!
ईश्वर है
वह सभी की पुकार सुनता है
जैसे 
एक बहरा सुनता है संगीत
वह देखता है
सभी के क्रिया-कलाप  
जैसे 
एक अंधा देखता है सृष्टि
वह लिखता है सभी का भाग्य 
जैसे 
हाशिए को नकार 
एक कवि लिखता है अ-कविता।

2 टिप्‍पणियां:

  1. सकारात्मकता से परिपूर्ण सुंदर अभिव्यक्ति।
    सादर।
    ------
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ३० अगस्त २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह! प्रिय अनीता ,बहुत सुंदर सृजन!

    जवाब देंहटाएं