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गुरुवार, अक्तूबर 24

अज्ञात की ओर

अज्ञात की ओर /अनीता सैनी 
२०अक्टूबर २०२४
...
उस दिन
उस
दिशा के एक कोने ने
विचारों से भरे भारी-भरकम
नियति के मंगलसूत्र को उतारकर
संभावना की छोटी-सी अंगूठी पहनी थी।
तुम ठीक से देख नहीं पाए।
उस दिन वह
भीड़ में अकेली
और
बेड़ियों में आज़ाद थी।

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