अंतिम थपकी/ अनीता सैनी
२ नवंबर २०२४
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जब जीवन के आठों पहर सताते हैं,
और तब जो थपकी देकर सुलाती है,
वही मृत्यु है।
चार्ल्स बुकोवस्की ने कहा-
मृत्यु और अधिक मृत्यु चाहती है,
और उसके जाल भरे हुए हैं:
मैंने कहा-
नहीं, मृत्यु और अधिक मृत्यु नहीं चाहती है
वह और अधिक समर्पण चाहती है।
आसक्त जीवन से
प्रेमिकाओं वाला प्रेम चाहती है।
बहुत बुरी लगती हैं उसे पत्नियों वाली दुत्कार,
समय गवाए बगैर
उसकी व्याकुलता भेजती है
छोटे-छोटे संदेश, छोटी-छोटी आहटें।
परंतु! उन्हें पढ़ा और सुना नहीं जाता,
अनभिज्ञता की आड़ में
उन्हें अनदेखा-अनसुना किया जाता है।
एकाकीपन नहीं है न किसी के पास
कोई कैसे पढ़ें और सुनें?
तुम उन्हें पढ़ना और सुनना —
उसे पढ़ना-सुनना शांति को स्पर्श करने जैसा है