गूँगी गुड़िया
अनीता सैनी
मंगलवार, नवंबर 26
छांव में छिपे रंग
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छांव में छिपे रंग / अनीता सैनी २४नवंबर २०२४ …. एक दिन तुम गहरी नींद से जागोगे और पाओगे मिथ्या, कल्पना जैसा कुछ नहीं होता, जो स...
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रविवार, नवंबर 17
हिज्र के साए
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हिज्र के साए/ अनीता सैनी १६ नवंबर २०२४ एक दिन पर्वतों की पीड़ा धोने अंबर ने बरसाया था हिज्र का नमक। खपरैल टूटी थी समंदर की, वे च...
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गुरुवार, नवंबर 14
अवसान के निशान
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अवसान के निशान / अनीता सैनी ९नवंबर २०२४ ….. जैसे-जैसे उम्र का सिरहाना लेकर काया सोती है, असल में तब वह जागती है। तब वह कविताएँ ...
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रविवार, नवंबर 3
अंतिम थपकी
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अंतिम थपकी/ अनीता सैनी २ नवंबर २०२४ …. जब जीवन के आठों पहर सताते हैं, और तब जो थपकी देकर सुलाती है, वही मृत्यु है। चार्ल्स बुको...
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गुरुवार, अक्तूबर 24
अज्ञात की ओर
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अज्ञात की ओर /अनीता सैनी २०अक्टूबर २०२४ ... उस दिन उस दिशा के एक कोने ने विचारों से भरे भारी-भरकम नियति के मंगलसूत्र को उतारकर ...
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गुरुवार, अक्तूबर 3
प्रवाह के पार
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प्रवाह के पार /अनीता सैनी ३०सितंबर २०२४ …. ये जो क़लम से कागज पर भावों की नदियाँ बहती हैं, ये सुखों की कहानियाँ कहती हैं, तुमन...
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मंगलवार, सितंबर 24
भोर का पक्षी
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भोर का पक्षी / अनीता सैनी २१सितंबर२०२४ ….. सदियों में कभी-कभार एक-आध ऐसी रात भी आती हैं, जब उजाले की प्रतीक्षा में भोर का यह ...
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गुरुवार, सितंबर 19
प्रेम
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प्रेम / अनीता सैनी १६सितंबर२०२४ ….. मरुस्थल वैराग्य नहीं प्रेम है! प्रेम! बर्फ़ का मरुस्थल है शांत - शीतल पवित्र ठण्डा! एकदम ठ...
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गुरुवार, सितंबर 12
खिड़कियों से परे
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खिड़कियों से परे / अनीता सैनी ७सितम्बर२०२४ ….. उनकी आत्मा में गहरी संवेदनाएँ हैं वे कहते हैं स्त्रियाँ गाय हैं चिड़िया हैं भेड़ और बकरिया ...
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